26-04-2025 |
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि अवैध तरीके से रह रहे भारतीयों को वापस भेजा गया है यह कोई पहली बार नहीं हुआ है 2012 से ही डिपोर्टेशन के तहत मिलिट्री प्लेन से लोगों को वापस भेजा जाता है ,भारतीयों के साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार नहीं हुआ । अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगाकर भेजना अमेरिकी नीति है और यह सभी देशों पर लागू है।
अमेरिका से भेजे गए 104 अवैध प्रवासियों के साथ जिस तरह से निर्दयता का व्यवहार किया गया है वह वाकई में शर्मनाक है और सरकार ने भी जिस तरीके से उसका जवाब दिया है वह उससे भी ज्यादा शर्मनाक है ।संसद में जब यह मुद्दा उठाया गया विपक्ष ने इस पर काफी हंगामा किया, इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि अवैध तरीके से रह रहे भारतीयों को वापस भेजा गया है यह कोई पहली बार नहीं हुआ है 2012 से ही डिपोर्टेशन के तहत मिलिट्री प्लेन से लोगों को वापस भेजा जाता है ,भारतीयों के साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार नहीं हुआ । अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगाकर भेजना अमेरिकी नीति है और यह सभी देशों पर लागू है। सरकार का पक्ष सुनकर बेहद आश्चर्य भी हुआ और शर्म भी आई के भारतीयों को जब रोजगार नहीं मिल रहे हैं तभी तो वह अवैध रूप से वहां तक गए अपना घर बार बेचकर और दूसरे रास्तों से ताकि उनका घर परिवार बन सके और चार पैसे कमा सके । इसमें क्या गलत है परंतु सरकार का यह कहना कि यह अमेरिका की नीति है और सब देशों पर लागू है तो कोलंबिया ने यह अपने ऊपर लागू क्यों नहीं होने दिया , 5 करोड़ की आबादी वाले देश ने अमेरिका को दिखा दिया कि वह अपनी आवाम के साथ हैं और उनकी सुरक्षा के प्रति चिंतित भी,यह उनकी सरकार की दम थी कि जब अमेरिका ने कोलंबिया के प्रवासी लोगों को सैन्य विमान से भेजने को कहा तो राष्ट्रपति ने चेताया कि विमान उतरने नहीं देंगे, राष्ट्रपति ने पेसेजंर प्लेन भेजा और अपने नागरिकों को बा इज्जत बुलाया। यह थी अपने देश के लोगों के प्रति उनकी निष्ठा उनकी लगन उन्होंने उन लोगों को गलत साबित नहीं किया बल्कि उनके प्रोटेक्शन में खुद खड़े हुए और उन्होंने अपने युवाओं को भरोसा दिलाया कि अपने देश में इज्जत की जिंदगी जीने के लिए सरकार उनकी पूरी मदद करेगी। भारत में जिस तरीके का संसद के अंदर उन लोगों के लिए वक्तव्य दिया है वह ना काबिले बर्दाश्त है , विपक्ष ने जो बातें कही है वह वाकई में सही है अपने देश के नागरिकों के प्रति इतना सम्मान की भाषा तो होनी चाहिए कि उन्हें किसी अपराधी के तौर पर हिंदुस्तान में स्वीकार न किया, जाए उन्हें इज्जत की नौकरी मिले और इज्जत से काम करने के लिए उन्हें मौका मिले या हर किसी का अधिकार है।