12-06-2025 |
राजनीति का जो दौर पहले का था उसमें जो वरिष्ठ जन थे उनकी भाषाओं में कुछ शालीनता थी, एक दूसरे का विरोध भी करते थे तो उसमें सीधे वार ना करते हुए शेरो शायरियां या अन्य चुटीले अंदाज में बातों का जिक्र किया जाता था , लेकिन कहीं से इस तरीके की अभद्र भाषाओं का या धमकियों का जिक्र नहीं हुआ करता था क्या आज जो हो रही है वह सभ्य समाज की भाषा है?
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल के अपमान पर भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखा वही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्ढा ने भी मोदी जी को दी गई कथित गलियों का जिक्र किया और पत्र लिखा। भाजपा नेता धर्मेंद्र सिंह मारवाह ने कहा कि राहुल गांधी बाज आजा नहीं तो तेरी दादी की तरह तेरा हश्र होगा ,भाजपा के केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू ने भी कुछ अपनी तरफ से बातें कहीं वहीं महाराष्ट्र के शिंदे गुट के नेता ने कहा कि राहुल की जीभ काट कर लाने वाले को 11 लाख रुपए दूंगा ,राजनीति का जो दौर पहले का था उसमें जो वरिष्ठ जन थे उनकी भाषाओं में कुछ शालीनता थी, एक दूसरे का विरोध भी करते थे तो उसमें सीधे वार ना करते हुए शेरो शायरियां या अन्य चुटीले अंदाज में बातों का जिक्र किया जाता था , लेकिन कहीं से इस तरीके की अभद्र भाषाओं का या धमकियों का जिक्र नहीं हुआ करता था क्या आज जो हो रही है वह सभ्य समाज की भाषा है?
हम जनप्रतिनिधियों को चुनते हैं तो क्या उन्हें इस तरीके की भाषाओं के हिसाब से कि उनकी शिक्षा और बाकी चीज एक और चली जाती हैं और एक दूसरे के लिए अभद्र भाषाओं का प्रयोग करके मीडिया में चर्चा में बने रहने के लिए लगातार इस तरीके की गतिविधियों की जाती हैं ताकि मीडिया उनके चेहरे लगातार दिखाते रहे , किसी समय में जहां गाली-गलौज के मामलों में प्रकरण दर्ज हो जाया करते थे वहीं लगता है अब यह सामान्य बोलचाल की भाषा हो गई है । हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है गली में घूमते हुए आवारा लड़के , नशेबाजों की भाषा अब नेता बोल रहे हैं नेताओं के साथ लगता है की भाषा की मर्यादा या खत्म हो चुकी हैं। यदि आपने कोई विशेष कार्य नहीं कर रखा हो जिंदगी में तो अपने आप को चर्चा में बनाए रखने के लिए आपको कुछ ना कुछ बाजीगरी दिखानी होती है । जैसे शहर में यदि सभी लोग पैरों के बल चल रहे हैं और कोई अचानक हाथो के बल चलने लगे तो सभी की निगाहें उसे और मुड़ जाती हैं । शायद यही दौर अब नेताओं ने अपना लिया है कि अपने आप को चर्चा में रखने के लिए और मीडिया के कैमरे अपनी ओर लगाए रखने के लिए कुछ ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग करो इसके मामले में ना तो उनकी पार्टी उन्हें कुछ बोलेगी ना ही वे उसके लिए माफी मांगने के लिए तैयार होंगे । दूसरे की गलियों का जवाब जरूर देंगे कि उन्होंने ऐसा किया था , इसलिए हमारी ओर से भी ऐसा किया गया। भाषा की मर्यादा में घरों में जिन शब्दों को बोलने के लिए थप्पड़ पड़ा करते थे , वह आम बोलचाल की भाषा हो चुकी है खुलेआम लड़ाई झगड़ा और एक दूसरे पर घात प्रतिघात हो रहे हैं ।वह हमारे भविष्य के प्रजातंत्र की ओर इंगित कर रहे हैं । जो निश्चय ही अच्छा नहीं माना जा सकता । ऐसा नहीं है ऐसा नहीं है कि हमारे यहां अच्छे वक्ता नहीं है , कुछ इतने सभ्यता से और छुटीले भाषण देने वाले सांसद भी हैं , जो एक तरीके का इतना सटीक भाषण देते हैं जिनकी वाहवाही पूरे सदन में होती है और वह घुमा फिरा कर अपनी बात को उसे चुटीले लहजे में कह जाते हैं जो सामने वाले को उतनी बुरी नहीं लगती। परंतु ऐसे लोग सिर्फ उंगलियों पर गिने जाने वाले हैं।