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09 Feb, 2025

तड़प

वो दिन गए जो मोहब्बत थी जान की बाजी किसी से अब कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता।

उदास एक मुझी को तो कर नहीं जाता

वो मुझसे रूठ के अपने भी घर नहीं जाता।

वो दिन गए जो मोहब्बत थी जान की बाजी

किसी से अब कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता।

तुम्हारा प्यार तो सांसों में सांस लेता है

जो होता नशा तो एक दिन उतर नहीं जाता।

पुराने रिश्तों की बेगर्जियां न समझेगा

वह अपने ओहदे से जब तक उतर नहीं जाता।

"वसीम" उसकी तड़प है तो उसके पास चलो

कभी कुआं किसी प्यासे के घर नहीं जाता।

वसीम बरेलवी