खुद को साबित करना चाहती थी : लवलीना बोरगोहेन
भारत के लिये दूसरा ओलंपिक पदक पक्का करने वाली मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने शुक्रवार को कहा कि तोक्यो खेलों के क्वार्टरफाइनल में वह कोई रणनीति बनाकर नहीं उतरी थी बल्कि रिंग के अंदर की परिस्थितियों के हिसाब से खेली थी क्योंकि चीनी ताइपे की मुक्केबाज से वह पहले चार बार हार चुकी थीं।
लवलीना ने पूर्व विश्व चैम्पियन नियेन चिन चेन को ४ . १ से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश भारत के लिये इन खेलों में दूसरा पदक पक्का कर दिया ।
असम की २३ वर्ष की मुक्केबाज का सामना मौजूदा विश्व चैम्पियन तुर्की की बुसानेज सुरमेनेली से होगा।
लवलीना ने तोक्यो से वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा, मैं उससे (नियेन चिन चेन) चार बार हार चुकी थी। खुद को साबित करना चाहती थी। मुझे लगा यही मौका है, अब मैं चार बार हारने का बदला लूंगी।
यह युवा मुक्केबाज कई परेशानियों से जूझने के बाद यहां अपने पहले ओलंपिक तक पहुंची है, लेकिन अभी उनका इरादा कुछ भी सोचकर ध्यान भटकाने का नहीं है। उन्होंने कहा, मैं अभी कुछ ज्यादा नहीं सोच रही हूं। मुझे कांस्य पदक पर नहीं रूकना।मेंरा लक्ष्य स्वर्ण पदक है। पदक तो एक ही होता है। उसके लिये ही तैयारी करनी है। सेमीफाइनल की रणनीति बनानी है। खुद को साबित करके दिखाना था, मैंने यहां तक पहुंचने के लिये आठ साल मेहनत की है।
यह पूछने पर कि वह इतनी निडर मुक्केबाज कैसे बनी तो लवलीना ने कहा, मैं पहले ऐसी नहीं थी। डर डर कर खेलती थी। कुछ टूर्नामेंट में खेलकर धीरे धीरे डर खत्म हुआ। रिंग में उतरने से पहले भी डरती थी। लेकिन फिर खुद पर विश्वास करने लगी, लोग कुछ भी कहें, अब फर्क नहीं पड़ता जिससे निडर होकर खेलने लगी।
यह पूछने पर कि क्या क्वार्टरफाइनल में खेलने से पहले दबाव था। तो उन्होंने कहा, मैंने सोचा कि दबाव लेने से अच्छा नहीं खेल पाते। यही सोचा कि दबाव मुक्त होकर ही खेलना है। पूरा भारत प्रार्थना कर रहा है, मुझे अपना शत प्रतिशत देना है।
वह पिछले साल कोविड-१९ पॉजिटिव हो गयी थीं, जिसके बाद वह टूर्नामेंट में खेलने नहीं जा सकीं। लवलीना ने हालांकि अपनी तैयारियों पर इसका असर नहीं पड़ने दिया।
उन्होंने कहा, कोविड-१९ से उबरकर वापसी की तो टूर्नामेंट भी नहीं मिल रहे थे क्योंकि आयोजित ही नहीं हो पा रहे थे। टूर्नामेंट का अहसास नहीं मिल पा रहा था । मैंने सोचा कि कैसे करूं तो ट्रेनिंग उसी हिसाब से की। हमारे कोचों की वजह से अच्छा कर पायी।
पूर्वोत्तर ने भारत को मुक्केबाजी में दो पदक दिलाये हैं जो दो महिलाओं ने जीते हैं। छह बार की विश्व चैम्पियन एम सी मैरीकॉम (२०१२ लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता) से प्रेरणा लेने वाली लवलीना ने कहा, मैरीकॉम प्रेरणास्रोत हैं।
मुक्केबाजी स्टार मोहम्मद अली की प्रशंसक लवलीना उनसे काफी प्रेरणा लेती हैं, उन्होंने कहा, वह दूरी बनाकर खेलते हैं ,
अगली बाउट के बारे में उन्होंने कहा, सेमीफाइनल में अभी समय है। चार अगस्त को मुकाबला है। तुर्की की मुक्केबाज का वीडियो देखा है लेकिन कोई रणनीति अभी तक नहीं बनायी है।