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02 Apr, 2024

पतंजलि और बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से पड़ी फटकार

१९ मार्च को कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को अगली सुनवाई में मौजूद रहने का आदेश दिया. इसके बाद २१ मार्च को बालकृष्ण ने इन विज्ञापनों के लिए अदालत में हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगी.

मामला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर की गई एक याचिका से जुड़ा है. इसमें आईएमए ने आरोप लगाया था कि पतंजलि और रामदेव ने कोविड-१९ टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ विज्ञापन अभियान चलाया था.

नवंबर २०२३ में अदालत ने बीमारियों का समूचा इलाज करने वाली दवाओं के झूठे दावों पर प्रति शिकायत पतंजलि के ऊपर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी थी. यह भी आदेश दिया था कि कंपनी भविष्य में झूठे विज्ञापन ना निकाले. इस आदेश के बावजूद पतंजलि ने फिर से ऐसे विज्ञापन निकाले, जिसके बाद अदालत ने ऐसे विज्ञापनों पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही, पतंजलि और बालकृष्ण के नाम अवमानना के नोटिस जारी कर दिए.

अवमानना के मामले में जब कंपनी ने अपना जवाब अदालत में दाखिल नहीं किया, तो १९ मार्च को कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को अगली सुनवाई में मौजूद रहने का आदेश दिया. इसके बाद २१ मार्च को बालकृष्ण ने इन विज्ञापनों के लिए अदालत में हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगी.

कंपनी ने यह दलील दी कि वह कानून के शासन का पूरा आदर करती है, लेकिन उसके मीडिया विभाग को विज्ञापन रोकने के अदालती आदेश की जानकारी नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को ठुकरा दिया और कहा, "अवमानना के मामलों में इस तरह का सलूक नहीं किया जाता है. कुछ मामलों को उनकी तार्किक परिणति तक ले ही जाना पड़ता है. इतनी दरियादिली नहीं दिखाई जा सकती."

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय पर भी इस मामले में कोई कदम नहीं उठाने के लिए नाराजगी जताईपतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और कंपनी के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेशों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। आपके खेद जताने के तरीके को हम मंजूर नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने मामले में सुनवाई की। पतंजलि की दवाओं के विज्ञापनों को लेकर सर्वोच्च अदालत के आदेश की अवमानना मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कोर्ट में पेश हुए। इस दौरान उनकी ओर से खेद जताया गया लेकिन कोर्ट ने उनकी माफी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।