उस पे पत्थर खाके क्या बीती ज़फ़र देखेगा कौन
फल तो सब ले जाएँगे ज़ख़्मे-शजर देखेगा कौन
आग तेरी है न मेरी, आग को मत दे हवा
राख मेरा घर हुआ तो तेरा घर देखेगा कौन
अपने
बुत अपनी ही झोली में छुपाकर लौट जा
लोग अन्धे हैं यहाँ तेरा हुनर देखेगा कौन
अपनी-अपनी नहर के अतराफ़ बैठे हैं सभी
प्यास की सूली पे हम प्यासों के सर देखेगा कौन
घर में पहुँचूँगा तो सब गठरी टटोलेंगे मेरी
आँख में चुभती हुई गर्दे-सफ़र देखेगा कौन